बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 1
सामाजिक मनोविज्ञान : स्वरूप
(Social Psychology : Nature)
प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
अथवा
समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र के विभिन्न पहलुओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
सामाजिक परिस्थिति में किए जाने वाले व्यवहारों को सामाजिक व्यवहार कहा जाता है। सामाजिक व्यवहार के भिन्न-भिन्न पहलू आपस में मिलकर समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र का निर्माण करते हैं। समाज मनोवविज्ञान के मुख्य कार्यक्षेत्र की व्याख्या इस प्रकार की गई है -
1. मनोवृत्ति - ऑलपोर्ट (1968) के अनुसार, मनोवृत्ति, समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र का एक प्रमुख अंग है। मनोवृत्ति में तीन तरह के तत्वों का एक संगठन पाया जाता है। ये तीन तत्व हैं - संवेगात्मक तत्व, व्यवहारपरक तत्व तथा संज्ञानात्मक तत्व। इन तत्वों के सम्मिलित रूप को 'मनोवृत्ति का ABC' (ABC of Attitude) कहा जाता है। समाज मनोविज्ञान में मनोवृत्ति के जिन पहलुओं पर सबसे अधिक बल डाला जा रहा हैं। वे तीन पहलु हैं मनोवृत्ति में परिवर्तन, मनोवृत्ति का निर्माण तथा मनोवृत्ति का मापन।
2. सामाजिक प्रत्यक्षण - सामाजिक प्रत्यक्ष आधुनिक समाज मनोवैज्ञानिकों के कार्यक्षेत्र का दूसरा प्रमुख पहलु है। दूसरे व्यक्तियों की प्रेरणाओं, इच्छाओं, मनोवृत्ति आदि से अवगत होकर तत्संबंधी ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता को सामाजिक प्रत्यक्षण की संज्ञा दी जाती है। इस कार्यक्षेत्र में समस्त मनोवैज्ञानिकों का ध्यान मूलतः तीन पहलुओं पर अधिक गया है - व्यक्तित्व प्रत्यक्षण, गुणारोपण, तथा अशाब्दिक संचार या संप्रेषणः।
3. पूर्वाग्रह तथा विभेद - पूर्वाग्रह एवं विभेद आधुनिक समाज मनोवैज्ञानिकों का एक महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्र बन गया है। पूर्वाग्रह एक ऐसी मनोवृत्ति है जो किसी वस्तु या व्यक्ति के प्रति प्रतिकूल या अनुकूल विचारों पर आधारित होती है। साधारणतः लोग पूर्वाग्रह से मतलब प्रतिकूल विचारों पर आधारित मनोवृत्तियों से लेते हैं। समाज मनोवैज्ञानिकों ने पूर्वाग्रह तथा विभेद प्रभावित करने वाले कारकों को बताया है। ऐसे कारकों में तीन तरह के कारक को समाज मनोवैज्ञानिकों ने अधिक महत्वपूर्ण बतलाया है जो हैं- सांस्कृतिक कारक, सामाजिक कारक तथा व्यक्तित्व संबंधित कारक। मनोवैज्ञानिकों ने पूर्वाग्रह की व्याख्या करने के लिए भिन्न-भिन्न तरह के सिद्धान्तों या उपागमों का भी वर्णन किया है जिनमें ऐतिहासिक उपागम, मनोविश्लेषणात्मक उपागम, संज्ञानात्मक उपागम आदि प्रमुख हैं।
4. जनमत तथा प्रचार - जनमत ऐसे व्यक्तियों के मत को कहा जाता है, जिनमें एक सामान्य अभिरुचि होती है। आधुनिक युग में जनमत का महत्व इसलिए बढ़ गया है क्योंकि इसके सहारे किसी सार्वजनिक समस्या के प्रति व्यक्तियों के विचारों एवं मतों का पता चलता है।
जनमत से काफी जुड़ा हुआ कार्यक्षेत्र प्रचार है। समाज मनोवैज्ञानिकों के लिए प्रचार एक ऐसी विधि है, जिसके सहारे व्यक्तियों कि विचारों एवं मतों को नियन्त्रित कर एक विशेष दिशा में मोडा जाता है।
5. नेतृत्व - नेतृत्व एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी संगठित समूह की क्रियाओं को किसी निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में उन्मुख कराया जाता है। जिस व्यक्ति का प्रभाव समूह की इन क्रियाओं पर सबसे अधिक होता है, उसे नेता माना जाता है। नेता की समर्थता या प्रभावशीलता की व्याख्या करने के लिए कई सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है। जिनमें से कुछ प्रमुख सिद्धान्त निम्न हैं- फाइडलर सिद्धान्त, पथ लक्ष्य सिद्धान्त, भ्रम तथा एटोन सिद्धान्त आदि।
6. सामाजिक प्रभाव - सामाजिक प्रभाव भी महत्वपूर्ण कार्यक्षेत्रों में से एक हैं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी एक व्यक्ति के व्यवहारों, भावनाओं एवं मनोवृत्तियों में परिवर्तन दूसरे व्यक्तियों द्वारा कुछ कहने या करने के फलस्वरूप होता है। सामाजिक प्रभाव स्पष्ट या छिपा हुआ, चेतन या अचेतन तथा औपचारिक एवं अनौपचारिक कुछ भी हो सकता है। आधुनिक समाज मनोवैज्ञानिकों ने मूलरूप से तीन तरह के सामाजिक प्रभावों को महत्वपूर्ण बतलाया हैं। समरूपता, अनुपालन एवं आज्ञाकारिता।
7. परोपकारिता, आक्रमणशीलता, सहयोग एवं प्रतिद्वन्द्विता - परोपकारिता एक ऐसा सामाजिक व्यवहार है, जिसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की सहायता बिना किसी प्रकार की उम्मीद के ही करता है। मेयर्स ( 1988 ) के अनुसार, आक्रमणशीलता एक ऐसा शारीरिक या शाब्दिक व्यवहार है जिससे एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को हानि या आद्यात पहुँचाने की कोशिश करता है।
सहयोग एक ऐसा सामाजिक व्यवहार है, जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। यहाँ कार्य का जो प्रतिफल होता है, उसका श्रेय सभी व्यक्तियों को दिया जाता है। प्रतिद्वन्द्विता एक ऐसा सामाजिक व्यवहार है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति प्रायः दूसरे व्यक्ति की तुलना में अपना निष्पादन अधिक आगे बढ़ाना चाहता है।
8. समूह प्रभाव - समूह प्रभाव से तात्पर्य भिन्न-भिन्न प्रकार के समूहों द्वारा व्यक्तियों पर पड़ने वाले प्रभावों से होता है। मनोवैज्ञानिकों ने समूह प्रभाव को सात भागों में बॉटकर अध्ययन करने की कोशिश की है सामाजिक सरलीकरण, भीड-भाड़, सामाजिक स्वैचारिता, अच्यष्टीयन, समूह ध्रुवण, समूह चिंतन तथा अल्पसंख्यक प्रभाव। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र में समाज मनोवैज्ञानिकों द्वारा अनेकानेक प्रयोग किए जा रहे हैं और उसके आधार पर वे लोग समूह प्रभाव के बारे में महत्वपूर्ण सामान्यीकरण प्राप्त कर रहे हैं।
अतः कह सकते हैं कि आजकल समाज मनोवैज्ञानिकों का कार्यक्षेत्र काफी बढ़ गया है। प्रत्येक क्षेत्र में उनके द्वारा जो शोध कार्य एवं प्रयोग किए जा रहे हैं, उनसे वे लोग सम्बन्धित क्षेत्रों की समस्याओं को अधिक-से-अधिक सुलझा सकने में समर्थ हो पाये हैं।
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- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
- प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या स्कीमा स्मृति को प्रभावित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
- प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
- प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
- प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
- प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
- प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
- प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।